इस पार्ट में भी मैं दो
केस लेकर समझाऊंगा और लड़का भी वही होगा जो मेने पार्ट 1 में लिया था |
केस 1 - वह लड़का रोज शाम को क्रिकेट खेलने जाता है या कह सकते हैं उसे
क्रिकेट खेलने का शौक है | चाहें वो लड़का कितनी भी टेंशन मैं हो , वह शाम को खेलने
जरुर जाता है | जब भी वो क्रिकेट खेलने के
लिए अपने घर से निकलता है , उसके चेहरे पर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है |
केस 2 - वह लड़का स्कूल भी जाता है | लेकिन स्कूल जाते समय वह ज्यादा उत्साहित नहीं
रहता क्योंकि उसे पढाई का शौक नहीं है | उसका पढाई मैं कभी मन ही नहीं लगता है |
वो स्कूल से आने के बाद कोचिंग भी जाता है लेकिन वहां भी उसका पढने मैं मन नहीं
लगता है |
आपने ऊपर दोनों केसों मैं
देखा कि उस लड़के को क्रिकेट खेलना पसंद है लेकिन पढाई करना पसंद नहीं है |
अब दोनों केसों मैं अंतर
क्या है – सिर्फ शौक और उत्साह का | सही कहा ना !!
आपको अपने अन्दर पढाई का
शौक पैदा करना होगा | शौक आने से उत्साह अपने आप आएगा | हमेशा ख़ुशी से पढोगे तभी
समझ मैं आएगा लेकिन अगर जबरदस्ती पढोगे तो
कुछ भी समझ मैं नहीं आएगा |
अगर आपका पढने का मन नहीं
है और आप बेमन होकर पढ़ रहें हैं तो फिर आप
दिन मैं 18-19 घंटे भी पढ़ लें , आपको कुछ भी समझ मैं नहीं आएगा | लेकिन आप अपने मन
से ,ख़ुशी से , पढ़ रहें हैं तो फिर आप दिन मैं 2 घंटे ही क्यूँ ना पढ़े , आपको वो 2
घंटे मैं पढ़ा हुआ लम्बे समय तक याद रहेगा |
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तो इसी के साथ मैं इस पार्ट को ख़त्म करता हूँ | अब इस
टॉपिक (Education Motivation In Hindi ) का आखिरी पार्ट ही बचा है
| वो भी जल्दी आ जायेगा |
तो मिलते हैं अगले पार्ट
मैं ,
तब तक के लिए GOOD BYE !!!